राधे राधे
जय गोमाता जय गोपाल
यह शेओपुर क्षेत्र है जो कि मध्यप्रदेश का एक जिला है। शेओपुर जहाँ मध्यप्रदेश के
शिवपुरी ग्वालियर एवं मुरेना जिले से लगा हुआ है वहीं दूसरी तरफ राजस्थान के सवाई
माधोपुर कोटा एवं वारन जिले से भी लगा हुआ है। ये वही शेओपुर जिला है जहाँ पर
हमारे देश के प्रधानमंत्री जी के द्वारा पिछले वर्ष कुनो सेंचुरी में चीता छोडे गये थे। ये
जिला प्राकृतिक सम्पदाओं से एवं जडी बूटियों से सम्पन्न क्षेत्र है। शेओपुर क्षेत्र. के
जंगलों में विभिन्न प्रकार की औषधी घास आदि प्रकृति से पैदा की जाती है। शेओपुर
क्षेत्र की सबसे बडी विषेशता यह है कि यहाँ पर अत्यधिक संख्या में भारतीय देशी गोवंश
है जोकि पूरी तरीह से गिरी नस्ल एवं रेड सिंघी नस्ल का है शेओपुर क्षेत्र में लगभग 80
से 90 हजार देशी गोवंश 14 से 15 गाँव के अन्दर है जोकि वन गाँव है। इस क्षेत्र में
जो भी गोमाता निवास करतीं हैं वो स्वच्छ स्वछन्द रूप से गोचारण करती हैं जिनके गले
में कभी रस्सी तक भी नहीं बाँधी जाती। शेओपुर क्षेत्र के जंगल में प्रकृति के द्वारा
जो घास उत्पन्न होती है उसमें अनगिनत औषधियाँ भी घास के साथ उत्पन्न होती हैं।
इसी घास को गोमाता के द्वारा चारे के रूप में गृहण किया जाता है | जो चारा
औषधियाँ गोमाता के द्वारा गृहण किया जाता है जिसकी वजह से यहाँ की गोमाता से
उत्पन्न हुये दूध व घी की गुणवक्ता अधिक होती है। शेओपुर क्षेत्र के 15 गाँव में से यह
सिमरौनियों गांव है | इस गाँव में गोमाता की संख्या लगभग 6000 के आस पास है
जिनका लगभग 100 वनवासी परिवारों द्वारा लालन पालन एवं पोषण किया जाता
है। यहाँ नित्य सुबह की वेला में ग्वाला एवं ग्वालिनों के द्वारा गोमाता का दूध निकालने
का कार्य किया जाता है। सुबह की वेला में ग्वाल गोमाता को अपने साथ गोचारण के
लिये ले जा रहे हैं। गोमाता के द्वारा पूरे दिन प्रकृति के द्वारा उत्पन्न प्राकृतिक एवं
औषधियुक्त घास का सेवन कर गोधूलि वेला में अपने गोष्ट की तरफ आ रहीं हैं और
उसके बाद दूध निकालने का कार्य ग्वालों के द्वारा किया जाता है। सभी ग्वाल एक
जगह एकत्रित होते हैं और 2 ग्वालों के द्वारा दूध संकलन का कार्य किया जाता है फिर
इस दूध से ही घी एवं दूध पाउडर बनाया जाता है। उच्च गुणवक्ता युक्त वेद अमृत घी
जोकि भारतीय नस्ल की गिरि नस्ल एवं रेड सिंघी नस्ल के दूध से तैयार घी है। हमारे
शास्त्रों में गोमाता के लिये ऐसा लिखा हुआ है कि जो गाोमाता वन क्षेत्र में घूमकर चारा
ग्रहण करती है उसका दूध उच्चतम गुणवतता वाला होता है। आप सभी स्वास्थ्य प्रेमी
लोगों से निवेदन है कि जंगल में चरने वाली गोमाताओं के द्वारा जो हमें अमृत के
समान घृत प्राप्त हो रहा है उसका उपयोग अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिये अवश्य करें और
हमेशा स्वस्थ्य सुखी और आनन्दित होने का अनुभव करें|
धन्यवाद |
जय गोमाता जय गोपाल।